भारत में विभिन्न स्थानों पर देवी के कई शक्तिपीठ हैं। इन शक्तिपीठों का वर्णन देवी भागवत पुराण में किया गया है। भारत के अलावा नेपाल और पाकिस्तान में भी शक्तिपीठ हैं। देवी के पांच शक्तिपीठ हैं, जिनके दर्शन से हर मनोकामना पूरी होती है। जानिए देवी के इन 5 शक्तिपीठों के बारे में।
अम्बाजी मंदिर, गुजरात
अंबाजी माता मंदिर गुजरात में अरासुर पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर में देवी की कोई मूर्ति नहीं है। ऐसा माना जाता है कि देवी सती का हृदय यहीं गिरा था। विशेष रूप से पूर्णिमा के दिन भक्तों का तांता लगा रहता है। इस शक्तिपीठ के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं। लेकिन देवी के यंत्र की पूजा की जाती है।
देवी तालाब मंदिर, जालंधर
ऐसा माना जाता है कि यहां माता सती का बायां स्तन गिरा था। माता का यह शक्तिपीठ जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर परिसर में स्थित तालाब भक्तों के आकर्षण का केंद्र है। इसे 52 शक्तिपीठों में से एक भी माना जाता है। देवी को समर्पित यह मंदिर 200 साल पुराना है।
गुजयेश्वरी मंदिर, नेपाल
यही कारण है कि इसे 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। कुछ लोग देवी के इस शक्तिपीठ को गुह्येश्वरी मंदिर के नाम से भी पुकारते हैं। माता का यह शक्तिपीठ नेपाल में स्थित है। कहा जाता है कि यहां माता सती के शरीर के दोनों घुटने गिरे थे।
हिंगलाज भवानी, पाकिस्तान
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिंगलाज माता का मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि यहां देवी का सिर गिरा था। इसे 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
कालीघाट शक्तिपीठ, कोलकाता
देवी का शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के कोलकाता में कालीघाट नामक स्थान पर स्थित है। कालीघाट में मां काली की मूर्ति में उनका माथा और चार हाथ दिखाई दे रहे हैं। इस स्थान पर माता सती के दाहिने पैर की चार अंगुलियां गिरी थीं। जो सोने से बना है। लाल कपड़े से ढकी मूर्ति में मां काली की जीभ बहुत लंबी है। इसे मां काली का शक्तिपीठ कहा जाता है।
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